हिमंता बिस्व सरमा ने असम के 15 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है. उन्हें असम के राज्यपाल जगदीश मुखी ने पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई. हिमंता बिस्वा सरमा के साथ 13 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गयी है. शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव देव, मणिपुर के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा और नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो मौजूद थे.
इससे पहले 9 मई को गुवाहाटी में हुई भाजपा विधायक दलों की बैठक में हिमंता बिस्व सरमा को विधायक दल का नेता चुना गया था. विधायक दल के नेता के रूप में हिमंता बिस्व सरमा के नाम का प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने रखा जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया. हिमंता बिस्व सरमा के विधायक दल का नेता चुने जाने की घोषणा पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने की. भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद सरमा को असम में एनडीए का नेता भी चुन लिया गया था. आपको बता दें कि 126 सदस्यों वाली असम विधानसभा में एनडीए ने 75 सीटें जीती हैं जिसमें भाजपा ने 60 जबकि सहयोगी दलों ने 15 सीटें जीती हैं
20 साल में सीएम पद पर पहुंचे
हिमंता बिस्व सरमा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2001 में कांग्रेस पार्टी से की थी. 2001 में हिमंता ने असम के जालुकबारी विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार जीत हासिल की थी और कैबिनेट मंत्री बने थे. तब से वे लगातार जीतते रहे हैं और कैबिनेट मंत्री भी बनते रहे हैं. 2015 में उन्होंने असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई से मतभेदों के चलते कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन की थी. 2016 में असम में भाजपा के पहली बार सत्ता में आने का बहुत बड़ा कारण हिमंता बिस्वा रहे थे. 2021 विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने पार्टी को दोबारा सत्ता दिलाने के लिए काफी मेहनत की और हिमंता की मेहनत और पूरे पूर्वोत्तर में उनके ज़मीनी प्रभाव और पकड़ को देखते हुए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सोनोवाल को हटाकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया.